मुकाबले की भावना – The Spirit Of Competition Hindi Kids Story, ये कहानी दो दोस्तों की है, आओ जाने दोस्ती में टक्कर और मुकाबला की पूरी कहानी शुरू से और आप ने क्या सीखा एक कहानी से कमेंट कर के जरूर बतातये
रजत के सभी साथियों के पास अपनी-अपनी साईकिल थी । वे अकसर किसी न किसी मित्र के साईकिल के पिछले हिस्से पर बैठकर धूम मचाते हुए स्कूल जाते ।
उन का रोज का यही क्रम था । रजत सदा वरुण के पीछे बैठा करता था ।
एक दिन वरुण ने मजाक में उसे से कहा, देखो रजत , आज मेरे साईकिल में हवा नहीं है, इसलिए तुम पैदल ही आ जाना ।
यह कहकर वह आगे बढ़ गया ।
तभी रजत ने देखा कि वरुण की साईकिल के पहियों में पूरी हवा थी ।
उसे बड़ा गुस्सा आया । वह सोचने लगा शायद वरुण को अपने पास साईकिल होने का घमंड हो गया है ।
थोड़ी दूर जा कर रजत ने देखा की वरुण साईकिल रोके खड़ा है ।
यह देख रजत रुका नहीं । वह उस के पास से होता हुआ गुजरा तो वरुण ने पीछे से आवाज दी, अरे रजत , ठहरो तो ।
तुम तो पैदल ही जा रहे हो । मैंने तो मजाक किया था । आओ, बैठो मेरे पीछे ।
रजत नहीं रुका । वह गुस्से में जो था ।
उस दिन वह पैदल ही स्कूल गया ।
शाम को घर आते ही उसने अपने पापा से कहा, पापा, मुझे भी साइकिल ला दीजिये । मेरे सभी साथी अपनी-अपनी साईकिल पर स्कूल जाते हैं ।
चारपांच दिनों के बाद रजत के पाप ने उसे नई साईकिल ला दी ।
अब रजत और वरुण दोनों अकेले-सकेले अपनी-अपनी साईकिल पर स्कूल जाने लगे ।
रजत के मन में अब भी वरुण के लिए गुस्सा था, इसलिए वह विजय को नीचा दिखाने के चक्कर में रहने लगा ।
एक दिन रजत ने मन ही मन यह फैसला कर लिया कि उसे अपनी साईकिल सदा वरुण से आगे रखनी चाहिए ।
दोतीन दिन बाद वरुण भी उस की इच्छा को भांप गया ।
अब जब यह टोली स्कूल जाती तो रजत और वरुण में होड़ सी लगी जाती ।
दोनों ही अपनी साईकिल एक दूसरे से आगे निकालने की कोशिश में रहते ।
कभी रजत आगे निकल जाता तो कभी वरुण । कुछ दिनों तक इसी तरह चलता रहा ।
एक दिन सभी मित्र स्कूल से घर आ रहे थे । वर्ष के कारण सड़क पर काफी फिसलन थी । जब वे सड़क का मोड़ मुड़ने लगे तो वरुण से आगे रहने की कोशिश में रजत की साईकिल का पहिया फिसल गया और वह धड़ाम से एक और गिर गया ।
रजत को गिरते देख कर सभी मित्र रुक गए ।
वरुण ने भी अपनी साईकिल रोकी । उस ने आगे बढ़ कर तुरंत रजत को उठा लिया । उसे अधिक चोट तो नहीं आई थी फिर भी कुछ जगह से खाल छिल गई थी ।
यह देखकर वरुण ने कहा, यह सब हमारी मुकाबले की भावना के कारण ही हुआ है ।
यदि हम दोनों में एक दूसरे से आगे रहने की होड़ नहीं होती तो तुम्हें यह चोट नहीं लगती ।
आज के बाद सदा तुम ही आगे रहना । मैं तुम्हारे पीछे ही रहा करूँगा ।
वरुण की बात सुनकर रजत का मन पसीज गया ।
शर्मिंदा हो कर उस ने कहा, नहीं वरुण गलती तो मेरी ही थी ।
मेरे मन में ही यह भावना आई थी कि मैं सदा तुम से आगे रह कर तुम्हें नीचा दिखाऊं ।
मैं यह भूल गया था कि सड़क पर मुकाबले की भावना रख कर साईकिल नहीं चलानी चाहिए ।
अब मेरी आँखे खुल गई हैं । मुझे माफ कर दो ।
इस Hindi Story से हमे ये सीख मिलती है कि ” सड़क पर मुकाबले की भावना से साईकिल या दूसरा वाहन नहीं चलाना चाहिए । “